Sunday, 31 March 2013

[Lovers India] Poem related to the end of life

ऐ रे माटि के पुतले न इतरा के चल,
तेरे जीवन का कोई भरोसा नहीं!!
मेरा मेरा ना कर, कोई यहाँ ना तेरा,
चार दिन का जहाँ में बसेरा तेरा!
जब ये पिंजरे का पंछी निकल जायेगा,
बोलते तन का कोई भरोसा नहीं!!

सारा संसार सागर ही स्वार्थ भरा,
इसकी लालच में हरगिज़ दीवाने ना आ,
गैर तो गैर अपने देते हैं दगा,
दोस्त दुश्मन का कोई भरोसा नहीं!
मेरा मेरा ना कर, कोई यहाँ ना तेरा,
चार दिन का जहाँ में बसेरा तेरा!
जब ये पिंजरे का पंछी निकल जायेगा,
बोलते तन का कोई भरोसा नहीं!!

माया ठगनी है नखरे दिखाती फिरे,
और मोह-माया में सबको फंसाती फिरे,
जाने कितने जनों को किया है भस्म,
ऐसी माया का कोई भरोसा नहीं!!
ऐ रे माटि के पुतले न इतरा के चल,
तेरे जीवन का कोई भरोसा नहीं!!

Regards,
Prashant

I heard it somewhere and thought to share with all my group friends.

--
--
You received this message because you are subscribed to the Google
Groups "Lovers India" group.
To post to this group, send email to loversindia@googlegroups.com
To unsubscribe from this group, send email to
loversindia+unsubscribe@googlegroups.com
http://groups.google.co.in/group/loversindia
 
---
You received this message because you are subscribed to the Google Groups "Lovers India" group.
To unsubscribe from this group and stop receiving emails from it, send an email to loversindia+unsubscribe@googlegroups.com.
For more options, visit https://groups.google.com/groups/opt_out.
 
 

No comments:

Post a Comment